July 7, 2023

सूर्य नमस्कार कुफ्र नहीं अनमोल तोहफा है: प्रो.शेख अकील अहमद

सूर्य नमस्कार योग आसन है,पूजा नहीं।सूर्य नमस्कार के साथ गायत्री मंत्र का उच्चारण भी गुनाह नहीं है। अगर गुनाह होता तो उर्दू के सबसे बड़े शायर अल्लामा इकबाल जिनकी कविता का स्रोत कुरान है, गायत्री मंत्र का अनुवाद कविता के रूप में ” आफ़ताब ” शीर्षक से नहीं करते। उर्दू के कई कवियों ने भी सूर्य को ईश्वर के प्रतीक के रूप में अपनी शायरी मैं जगह जगह इस्तेमाल किया है। उर्दू की कहानियों मैं भी सूरज का प्रयोग भगवान के प्रतीक के रूप में किया गया है। मैं उर्दू में दो लेख ” उर्दू शायरी में सूरज का प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति ” और ” शहाब जाफरी की कविता में सूरज का पौराणिक भूमिका ” लिख चुका हूँ जो दस साल पहले कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। यह अपनी अपनी सोच है। इस्लाम में कहा गया है कि प्रार्थना करने के लिए या उपवास के लिए नीयत बांधी जाती है और मन में भी यही बात होती है कि पूजा करने जा रहा हूँ। बिना नीयत उपवास या प्रार्थना सही नहीं है। सूर्य नस्कार करने वाले व्यक्ति के हृदय मैं केवल योग करने की नीयत होती है न कि पूजा की। इसलिए सूर्य नमस्कार को पूजा समझना दिमाग का मनोभ्रंश के सिवा कुछ नहीं है।

पिछले दस सालों से मैं सूर्य नमस्कार के रूप में योग करता आ रहा हूँ। सूर्य नमस्कार मेरे लिए पूजा नहीं अच्छे दिन की शुरुआत है। मुझे योग में महारत हासिल है। योग के कठिनसे कठिन आशनों को मैं कर सकता हूँ। कई बार योग के आशनों का प्रदर्शन करने के लिए मुझे योग गुरु आगे कर देते हैं। सूर्य नमस्कार और योग के दूसरे आशनों से मेरी जिंदगी बदल गई। पहले मधुमेह और लीवर की बीमारी से परेशान रहता था लेकिन जब से मैं ने योग करना शुरू किया तब से मेरी सभी बीमारियां समाप्त हो गईं।इसी बीच कुछ मजबूरियों की वजह से कुछ महीनों के लिए मैं ने योग छोड़ दिया था जिसके कारण से दवाएं खाने के बावजूद भी मधुमेह की बीमारी बढ़ने लगी। फिर मैं ने सूर्य नमस्कार और मण्डूक आशन करना शुरू किया। इसके बाद मधुमेह की बीमारी खत्म हो गई। इसलिए योग मेरे लिए भगवान की दी हुई सबसे कीमती उपहार है।

आजम खान या ओवैसी जैसे नफरत फैलाने वाले और सही रास्ते से भटकाने वाले नेताओं से मुसलमानों को सतर्क रहना चाहिए। ऐसे लोगों के फन्दे में नहीं फंसने चाहिए। इस्लाम में व्यायाम जरूरी बताया गया है। स्वास्थ्य परमेश्वर की दी हुई उत्तम उपहार है। जिस तरह मनुष्य के लिए खाना पीना और साँस लेना आवश्यक है उसी तरह योग भी हर एक व्यक्ति के लिए जरूरी है। परमेश्वर जिस व्यक्ति पर मेहरबान होता है उसे योग करने की तौफ़ीक़ अता कर देता है।अल्लाह पाक के निकट शक्तिशाली मोमिन बेहतर और अधिक प्रिय है कमजोर मोमिन की तुलना में।प्राचीन ज़माने में बौद्ध और भिक्षु व्यायाम और लड़ाई के दांव पेंच में विशेषज्ञता रखते थे। थाईलैंड, कोरिया, चीन और जापान जैसे देशों में कराटे और जूडो आदि बहुत लोकप्रिय हैं। भारत के प्राचीन अखाड़ों में व्यायाम के साथ साथ कुश्ती लड़ने के विशेषज्ञ प्रशिक्षण देकर पहलवानों को तैयार किया जाता है, साथ ही योग के द्वारा स्वास्थ्य को बहाल रखने की कोशिश की जाती है। किस्मत तरह तरह के खेल और सम्बन्धी व्यायामों का अभ्यास अलग देशों के आधार पर प्रचलित और लोकप्रिय हैं।

शारीरिक व्यायाम के रूपांतरणमें शामिल “योग” वर्तमान स्थिति में एक महत्वपूर्ण विषय बन कर उभर रहा है।अब तो हर रोज मेरी सुबह सूर्य नमस्कार से होती है। सुबह फज्र की नमाज़ पढ़कर 5 बजे पार्क में जाता हूँ और कम से कम एक घंटे तक योग करता हूँ। सूर्य नमस्कार मेरे लिए कुफ्र नहीं बल्कि भगवान का दिया अनमोल तोहफा है।

Prof. Shaikh Aquil Ahmad

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